प्रेस विज्ञप्ति

25-04-2025

गेल (इंडिया) लिमिटेड


गेल एवं कॉनकॉर द्वारा वैकल्पिक ईंधन के रूप में एनलएनजी को अपनाने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली, 25 अप्रैल, 2025 :गेल (इंडिया) लिमिटेड और कॉनकॉर ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिए वैकल्पिक ईंधन के रूप में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) को अपनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। श्री संजय कुमार, निदेशक (विपणन), गेल; श्री संजय स्वरूप, सीएमडी, कॉनकॉर; और दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थिति में दिनांक 23 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। गेल के कार्यकारी निदेशक (विपणन-रिटेल एलएनजी) श्री कपिल कुमार जैन और कॉनकॉर के महाप्रबंधक (पी एंड एस) श्री अहमद वासी खान ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य कॉनकॉर के लॉजिस्टिक फ्लीट के लिए ईंधन के रूप में एलएनजी का उपयोग करने की व्यवहार्यता का आकलन करना है। इस सहयोग से डीजल के स्वच्छ और अधिक लागत प्रभावी विकल्प के रूप में एलएनजी के लाभ को बढ़ावा मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन कम होगा और प्रचालन लागत में भी कमी आयेगी। यह समझौता वैकल्पिक ईंधन को अपनाने के माध्यम से लॉजिस्टिक क्षेत्र में स्थायी प्रथाओं और ऊर्जा दक्षता के लिए भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

श्री संजय कुमार, निदेशक (विपणन), गेल ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि गेल के पास देश का सबसे बड़ा एलएनजी पोर्टफोलियो है, जिसके अनुबंध विश्व भर में कई भौगोलिक क्षेत्रों में व्याप्त हैं; जिससे एक विश्वसनीय एलएनजी आपूर्तिकर्ता का दर्जा प्राप्त हुआ है। परिवहन ईंधन के रूप में एलएनजी परिवहन उद्योग के लिए एक गेम-चेंजर बनने के लिए तैयार है और भारत इस स्वच्छ ईंधन विकल्प को अपनाने में लगातार गति प्राप्त कर रहा है। यह समझौता ज्ञापन प्रमुख समूहों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी को मजबूत करता है तथा एक अधिक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल लॉजिस्टिक ढांचे को बढ़ावा देता है।

इस अवसर पर कॉनकॉर के सीएमडी श्री संजय स्वरूप ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एमओयू ग्राहकों को स्थायी लॉजिस्टिक्स समाधान प्रदान करने के लिए कॉनकॉर की प्रतिबद्धता की दिशा में एक और कदम है, जिसके लिए कंपनी पहले ही एमएमएलपी खातूवास में एलएनजी स्टेशन स्थापित कर चुकी है और 130 एलएनजी ट्रेलरों का एक बड़ा फ्लीट खरीद चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप कॉनकॉर के दिन-प्रतिदिन के संचालन में कार्बन फुट प्रिंट में कमी आई है।

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